आईना और मेरा अक़्स

धखुली सी आँखें

खुद को ढूँढती है आईने में

फिर अक़्स देखकर अपना

कुछ खुल सी जाती है

सूरत देखकर अपनी

आईने से कहती है आँखें

तू कर रहा ग़ुस्ताखी है

ये मैं नहीं....

मेरी पहचान ये नहीं है

ऐ आईने मुझे दिखा

मेरा अक़्स खुद का

आईना मुस्कुराया...

कहने लगा

देखो ग़ौर करके

ये तुम ही तो हो

बस फर्क इतना है

कि तुम बदल गई हो

कल तुम सच थी

आज तुम दिखावा हो

कल कुछ सपने थे आँखों में

जो आज भुला दिए है तुमने

ज़िन्दगी की दौङ में

खुद को खो आई कहीं

तेरी पहचान तेरी सूरत नहीं

उम्मीदों से भरी चमकदार आँखे थी

जिनसे तू मुझमें

अपना अक़्स देखा करती थी

जा जाके नए ख़्वाब सजा

उम्मीदें लगा कुछ नई

तब खुदकी सूरत में तू

हमेशा खुद को ही पाएगी...

23 टिप्पणियाँ:

बहुत बहुत बहुत सुंदर काव्य है।

 

nice poiem. aaina aur journlism ek se hote hai. dona jindgi ke hakikt se rubru karate hai...hai na.

 

ज़िन्दगी की दौङ में

खुद को खो आई कहीं

तेरी पहचान तेरी सूरत नहीं


बहुत सुंदर ........

 

बहुत खूब लिखा है शबनम बहन आप ने, सच कहा आपने । हम अपना खूद का वजुद भी खो देते हैं , और ढुँढते हैं खूद को ।

 

बहुत सुंदर लिखा आप ने हकीकत व्याण की है आप ने, धन्यवाद

 

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

 

bahut bahut bahut hi sundar bhav aur aaina to sach hi kahta hai na aur usne sach kah diya...........waah!

 

प्रिय मित्र ,

परमपिता , परमेश्वर , जगत्स्वामी , जगेश , सर्त्रव्यापी इश्वर आप सभी को सपरिवार सकुशल ,सुरक्षित एवं आयुष्मान रखे . आप सबकी समस्त आशाओं को ,अभिलाषाओं को एवम स्वपनों को साकार करे.

आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं !

कुछ फूल, कुछ सितारे और एक चाँद
थोड़ी सी चाँदनी , नर्म धूप की महक
धनवर्षा, दहलीज़ पे किस्मत की दस्तक
मुंडेर पर चुग्गा चुगती चिड़ियों की चहक
घर में चहकते बच्चे , बतियाते माँ बाप
चिरागों के बजाये जलते हुए आफ़ताब
हर चीज़ में बरक्कत , हर शै में इजाफा
हर मुश्किल तलाशती खुद अपना ही जवाब
नई सुबह जब आसमान से एक नया सूरज
धकेल पाँव से निकले जब अँधेरे की चादर
नए साल की पहली सुनहरी किरन "दीपक"
मुबारक़ बन के आगोश में ले ले तुम्हें आकर

नया साल मुबारक़
नया साल मुबारक़
नया साल मुबारक़
aap sab ko navvarsh 2010 ki haardik mangalmay shubhkaamnaaye.

ALL RIGHT RESERVED @DEEPAK SHARMA
http://www.kavideepaksharma.com
http://kavidepaksharma.blogspot.com

 

सुंदर रचना ,मेरी ओर से आपको नववर्ष की शुभकामनाएं ।

 

ख़ूबसूरत रचना..आईना हमें अपना अक्स दिखाता ही है...पर हम ही नज़रें चुरा लेते हैं....सुन्दर अभिव्यक्ति

 

सुन्दर रचना
नववर्ष की हार्दिक बधाई

 

शबनम साहिबा आदाब
इतनी कम उम्र,
और ये उस्तादाना फिक्रो-फन....

'तेरी पहचान तेरी सूरत नहीं
उम्मीदों से भरी चमकदार आँखे थी
जिनसे तू मुझमें
अपना अक़्स देखा करती थी'

क्या कहें, दुआ करते हैं
अल्लाह आपको अपने मकसद में कामयाबी दे
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

 

आइना दिखाती पंक्तियाँ है...!

सुन्दर प्रभावशाली प्रस्तुति...!!

नववर्ष की बधाई और शुभकामनाओं सहित

- सुलभ

 

dube se apke blog tak aaya
likhne ka andaz kamal ka laga
follow apply kiya.likhne ki aadat ya salahiyat
insan ko zindagi jine ki maksad batati hay
aap soft likhne walon ko allah sehat aur bulandi de.aamin

my bolg-zoomcomputers.blogspot.com

 

Nice one .....i always think tht every mirror have two face !!
thn u discribe the mirror.....keep going well

Jai Ho Mangalmay ho

 

सुन्दर अभिव्यक्ति.....
नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ आपके लेखन को भी शुभ कामनाएं...

 

बेहतरीन और सुन्दर अभिव्यक्ति दी है, बधाई ले लो!!



’सकारात्मक सोच के साथ हिन्दी एवं हिन्दी चिट्ठाकारी के प्रचार एवं प्रसार में योगदान दें.’

-त्रुटियों की तरफ ध्यान दिलाना जरुरी है किन्तु प्रोत्साहन उससे भी अधिक जरुरी है.

नोबल पुरुस्कार विजेता एन्टोने फ्रान्स का कहना था कि '९०% सीख प्रोत्साहान देता है.'

कृपया सह-चिट्ठाकारों को प्रोत्साहित करने में न हिचकिचायें.

-सादर,
समीर लाल ’समीर’

 

BAHUT HI UMDA LIKHA .... MAIN AAPKI RACHNA APNI PATNI KE SAATYH BAITHA PADH RAHA HUN AUR VO BHI AAPKI LEKHNI KI KAAYAL HO GAYEE HAI ...
BAHUT SACH ... JIVIT RACHNA KE LIYE BADHAAI .....

 

digambar ji bohot bohot shukriya aapka aur apki patni ji ka.... ap logo ka ashirvaad aur duaaye milti rahengi toh yu hi likhti rahungi....

 

shabnam
itna behtar nahi likhte
ab jab tumlog itna behtar likh dete ho to mai likh nahi pata......bas copy aur paste kaam khatam
....sach bolne ki bimari khatarnaak hai so kabhi kabhi jhooth boliya karo bada maza aata hai

 

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