अपने हिस्से का प्यार..





चांद तारों की महफिल लगने से
आसमान में सूरज लहराने तक
बादल के आखिरी टुकड़े से
बारिश की हर बूंद निचुड़ जाने तक
घर के बाहर लगे गुलाब के पौधे में
एक नया फूल उग के सूख जाने तक
 सड़क पर लगे गाड़ियों के मजमें से
उसके ख़ामोश सुनसान हो जाते तक
चूड़ियों की सजी खनखनाहट से
ड्राउर के लकड़ी के केस में रखे जाने तक
करीने से बनी ज़ुल्फों के
कंधों पर बिखर जाने तक
सुबह जैसी चमकती आखों में
रात का अंधेरा पसर जाने तक

मैंने कर लिया तेरा इंतज़ार
मैंने कर लिया, अपने हिस्से का प्यार