अगर भीड़ से बाहर निकलने के लिए हमें जगह की जरूरत होती है तो बरबस ही मुंह से निकल पड़ता है, “ज़रा साइड होना भईया”, रास्ते में झगड़ रहे दो लोगों को अलग करता हुआ कोई अंजान शख्स उनमें से एक को “अरे चाचा, जाने भी दो न” कह देता है, पहली बार अपने दोस्त के घर जाकर उसकी पत्नी के हाथ का बना खाना खाने के बाद कहा जाता है, “वाह भाभी, क्या लाजवाब खाना बनाया है”….ये हैं रिश्ते, जो कभी भी कही भी बन जाते हैं। जी हां, यही खूबसूरती होती है रिश्तों की, जिनकी रेशमी डोर से एक नाज़ुक गांठ के साथ हम दुनियां में कदम रखते ही बंध जाते है। हर इंसान अपनी ज़िंदगी में ढेरों रिश्ते पाता और बनाता है। कुछ के साथ वह खुदको जोड़ता है और कुछ खुद ही उसके साथ जुड़ जाते हैं। कुछ रिश्ते पानी की तरह पारदर्शी होते हैं तो कुछ रिश्तें परदों की आड़ में छिपे भी होते हैं। इन रिश्तों से दुनिया का कोई इंसान अछूता नहीं रहा। हर रिश्ते की अपनी अलग अहमियत होती है।
रिश्ता, चाहे वो कोई भी हो, उसे बोया जाता है प्यार की धरती पर, और सींचा जाता है वक्त से। जैसे-जैसे वक्त गुजरता जाता है रिश्तों में मजबूती आ जाती है। रिश्ता चाहे पारिवारिक हो या आत्मीय, उसकी खासियत ये होती है कि वह जोड़ने के काम करता है। किसी से कोई रिश्ता बनाने के लिए कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना पड़ता, चाहे वो मां से आपका रिश्ता हो, दोस्तों से आपका लगाव हो या गुरू में आपकी श्रद्धा..ये सब सहज ही होता है। अगर आप इस प्रेम के लिए कोशिशें कर रहे हैं तो समझियें आप कोई रिश्ता नहीं बना रहे किसी असाइमेंट को पूरा कर रहे हैं। अजीब है ये रिश्तें, ये न सिर्फ आपकी खुशी में आपके साथ झूमते है बल्कि आपके ग़म में आपका हाथ थामें दिलासा भी देते हैं। ये आपके साथ मुस्कुराते हैं, और आपके लिए आंसू भी बहाते हैं। ये रिश्ते ही हैं जो आपको कभी अकेला नहीं छोड़ते। प्रेम के शहद में लिपटे और समर्पण की छांव में पलने वाले ये रिश्ते इंसान की ज़िंदगी के अधूरेपन को भरते हैं।
आज के इस दौर में लोग अक्सर ये कहते मिल जाते हैं कि “मेरे पास सांस लेने तक का वक्त नहीं है” लेकिन सच तो यह है कि वक्त की कमी होने पर भी वह तमाम रिश्तों को निभाता है। यह उसकी मजबूरी नहीं, उसकी जरूरत है। रिश्तों के बिना जिंदगी को केवल काटा जा सकता है और रिश्तों के साथ उसे जिया जा सकता है। लेकिन जिस तरह लकड़ी को सहेजते समय यह ध्यान रखना पड़ता है कि उसमें घुन और दीमक न लग जाए, बिल्कुल उसी तरह किसी भी रिश्ते में यह ध्यान रखना पड़ता है कि उसमें अहम और ईर्ष्या न घर कर ले। ध्यान रहे, अगर लकड़ी खराब हो जाए तो उसकी भरपाई फिर भी की जा सकती है लेकिन बिगड़े रिश्तों को संभालना मुश्किल होता है।
कहते हैं जिंदगी की कमाई पैसा नहीं रिश्ते होते हैं, और ये रिश्ते तिजोरी में संभाल कर नहीं रखे जा सकते। इन्हें जरूरत होती है सांस लेने की, मुस्कुराने की और आपके साथ चलने की। तो सोच क्या रहे हैं, इन रिश्तों को फूलों की तरह अपनी जिदंगी को महकाने का मौका दीजिए और इन्हें ढेर सारा प्यार और सम्मान दीजिए।
13 टिप्पणियाँ:
bahut prerak aalekh
बहुत ही सुन्दर और सटीक आलेख्।
nice one dear
बहुत प्यारी बात कही आपने। रिश्तों की महक के बिना जिंदगी व्यर्थ लगती है।
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TOP HINDI BLOGS !
बहुत सटीक और सार्थक लेख लिखा है ... बिना रिश्तों के ज़िंदगी कैसी ..
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (11-7-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
Bahut accha lekh. Relationship is the most important thing in the world, no matter with your spouse, child, parent or friends.
bhut sunder vichar :hats off:
सार्थक लेख...
Very sunder vichar...!
प्रभावी और सार्थक आलेख
रिश्ते न होँ तो पहाड़ सी जिंदगी नहीं जी जाई सकती ...
सहज पर प्रभावी रचना.बेहद पठनीय!
हमज़बान की नयी पोस्ट आतंक के विरुद्ध जिहाद http://hamzabaan.blogspot.com/2011/07/blog-post_14.htmlज़रूर पढ़ें और इस मुहीम में शामिल हों.
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