वादे तो होते ही तोङने के लिए है
वादा इसलिए तोङ दिया एक हमने
गुनाह कहोगे अगर इसे
तो आज एक गुनाह कर लिया हमने
सब्र की इंतेहा देखी ही न गई
बहुत जल्दी किनारा कर लिया हमने
परेशान क्यूँ करे सबको
नाते सब तोङ लिए
रास्ता बदल लिया हमने
गुंजाइश न कुछ रह जाए सोचकर
10 टिप्पणियाँ:
करो वादा किसी से तो वफा की कोशिशें भी हों,
भरोसा करने वाले की ये इक उम्मीद होती है
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद
सब्र की इंतेहा देखी ही न गई
बहुत जल्दी किनारा कर लिया हमने
परेशान क्यूँ करे सबको
सोचकर ही ये फैसला किया हमने
शायद दुनिया में मेरा ही गम सबसे कम है... बहुत अच्छी लाइन्स लिखीं हैं.. दिल को छू गईं...
बहुत खूब ......... लाजवाब लिखा ..........
एक एक पंक्तियाँ दिल को छू लेने वाली हैं...... बहुत बेहतरीन कविता ....बेहतरीन लफ़्ज़ों के साथ.....
Kuchh to majbooriyaan rahee hongi, varna koi yunhi bewafa nahin hota!
Bahut achha likha hai!
इस बेहतरीन रचना के लिए आप को
बहुत -२ आभार
really tum acha likhti ho.pdhne mai bda mza aaya.keep writing.....
अच्छा ही किया कि वादा तोड दिया तुमने। निभाकर भी क्या करती।
sundar rachna,
bahut bahut badhaii
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