आपने कई बार किसी की मदद की होगी ..... या फ़िर दान दिया होगा ??? फ़िर ये सोचकर आप ये बात किसी को बताते नही होंगे कि " नेकी कर और दरिया में ड़ाल "..... यानी भले काम करो और फ़िर उसकी चर्चा किसी से न करो, उसे भूल जाओ। अगर कोई अपने नेक कामों के बारे में चर्चा करता हो तो आप जरुर उसे तिरछी निगाहों से देखते होंगे। लेकिन मेरा मानना है कि " नेकी कर और ढिंढोरा पीट "... यानी अगर मैंने कोई अच्छा काम किया है, किसी की मदद की है तो मुझे उसे छुपाना नही चाहिए बल्कि सबको बताना चाहिए।
.......लेकिन आपके माथे पर ये बल क्यों पड़ गए? जरा मेरी इस सोच के पीछे का मकसद भी तो जान लीजिये।
जब आप कोई नेकी करते हैं और चुपचाप उन्हें भूल जाते हैं तो उसका फायदा तो होगा पर एक निश्चित दायरे में... और इसके विपरीत अगर कोई नेकी करके दूसरों को इसके बारे में बताये तो हो सकता है कि कुछ लोग भी सबक लें और नेकी करें। मसलन अगर आप किसी एनजीओ को कुछ पैसों का दान करते हैं और आप उसके बारे में अपने दोस्तों को बताते हैं तो हो सकता है कि आपके कुछ दोस्त आपसे प्रेरित होकर, कुछ इर्श्यावश और कुछ प्रतियोगितावश दान करना शुरू कर दे। ......जरा सोचिये आपके इस छोटे से प्रयास से कितने कल्याण हो सकते हैं.....हैं??? तो फ़िर भविष्य में जब भी कोई नेकी का काम करें तो मेहरबानी करके उसका ढिंढोरा पीटना मत भूलियेगा............
9 टिप्पणियाँ:
क्या बात है शबनम जी। बहुत खूब लिखा है। पहले पोस्ट के लिए बधाई हो आपको।
are wah.....kafi impressive likha hai.....achcha laga k koi mera dost kuch badlaav laa sakta hai....
ढिंढोरा पीटना
yahi ti karte hai log
unki aadat ban chuki hai
सलाह अच्छी है ...
अच्छी पत्रकार हैं आप ...आप ने बढ़िया सलाह दी है ...!!
सकारात्मक लेख ...
बहुत सही कहा है आपने ... ।
बहुत बढ़िया आलेख है.
सादर
sach baat hai koi aesi neki jisase doosare log bhi sabak seekhen usko jarur sabko bataanaa chahiye.achchi post ke liye badhaai .
please visit my blog.thanks.
बहुत बढ़िया आलेख!
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