अपने हिस्से का प्यार..





चांद तारों की महफिल लगने से
आसमान में सूरज लहराने तक
बादल के आखिरी टुकड़े से
बारिश की हर बूंद निचुड़ जाने तक
घर के बाहर लगे गुलाब के पौधे में
एक नया फूल उग के सूख जाने तक
 सड़क पर लगे गाड़ियों के मजमें से
उसके ख़ामोश सुनसान हो जाते तक
चूड़ियों की सजी खनखनाहट से
ड्राउर के लकड़ी के केस में रखे जाने तक
करीने से बनी ज़ुल्फों के
कंधों पर बिखर जाने तक
सुबह जैसी चमकती आखों में
रात का अंधेरा पसर जाने तक

मैंने कर लिया तेरा इंतज़ार
मैंने कर लिया, अपने हिस्से का प्यार

17 टिप्पणियाँ:

इंतजार और प्यार के फासले को पाटती कविता। दोनों एक दूसरे के पर्याय हो जाते हैं। बेहतरीन।

 

मैंने कर लिया अपने हिस्से का प्यार उम्दा और भावपूर्ण रचना |
आशा

 

बेहद खूबसूरत रचना है। पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर। बहुत अच्छा लगा।
~ मधुरेश

 

मैंने कर लिया तेरा इंतज़ार
मैंने कर लिया, अपने हिस्से का प्यार

सचमुच आपका अंदाजे बयां जुदा है

 

मैंने कर लिया तेरा इंतज़ार
मैंने कर लिया, अपने हिस्से का प्यार
प्यार जताने की खुबसूरत अंदाज : सुन्दर अभिव्यक्ति
New post कुछ पता नहीं !!! (द्वितीय भाग )
New post: कुछ पता नहीं !!!

 

दिल को छू गयी आपकी रचना...-क्या प्यार इसी इंतज़ार का नाम है...
~सादर!!!

 

भावमय करते शब्‍द रचना के ...

 

गहरे एहसास लिए ... प्रेम की पाती ...

 

बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ........मैंने कर लिया तेरा इंतज़ार
मैंने कर लिया, अपने हिस्से का प्यार

 

बेहतरीन ... बहुत ही खूबसूरत .. उन फूलों से भी खूबसूरत जो घर से निकलते ही दाएं बाएं मुस्करा कर पूछते हैं, "कहां जा रहे हो" .. लिखते रहो ।

 

बहुत ही खूबसूरत रचना है।

 

हां, सिर्फ अपने लिए
एक छोटा सा काम
तुझे सीखना होगा
पैदाइश के उस पाठ को भूलना
जो तुझे सबसे पहले पढ़ाया गया था
कि तू लड़की है
स्त्री है, औरत है
ज़िम्मेदारी है, कभी बोझ है कभी खुशी है
कभी गुड़िया कभी देवी भी है..
तुझे सीखना होगा खुदको
सिर्फ और सिर्फ
एक इंसान समझना।

निःशब्द करती रचना आपने नारी के त्याग तपस्या को सुन्दर शब्द दिए हैं खुबसूरत ....

 

sundar rachana

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दिल का छूती हे आपकी लाईनें
बेहद खूबसूरत रचना है। पहली बार आना हुआ आपके ब्लॉग पर। बहुत अच्छा लगा।

 

शबनम क्या क़र रही हो और कहा हो. अब झूठ बोलना जान गयी या सच ही जीवन है. आशा है ठीक होगी ढेरों स्नेह के साथ अनामी
08076124377

 

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