अन्ना, आंदोलन और उम्मीद की किरण


अन्ना द्वारा भ्रष्टाचार के विरूद्ध चलाई जा रही मुहिम अब सिर्फ भ्रष्टाचार के खिलाफ ही नहीं रही, उसमें शामिल होकर देखिए, आपको महसूस होगा कि ये भारतीयों के अंदर सालों से कैद विभिन्न सरकारों और सिस्टम के खिलाफ गुस्सा, भड़ास और दुख का एक गुबार है, जो आंधी के रूप में बाहर निकल रहा है.

आंदोलनकर्ताओं को खुद नहीं पता कि ये आंदोलन कहां तक जाएगा और कितना बदलाव लाएगा, लेकिन उन्हें इस बात का संतोष है कि सारा देश इसमें अपना समर्थन देने के लिए आगे आया है. दीपक चौरसिया भले ही विरोध प्रदर्शनों के बीच में घुसकर लोगों को पकड़ कर उनसे पूछ रहे हो कि लोकपाल बिल है क्या, और उनके न बता पाने पर स्टार न्यूज के दर्शकों को ये बता रहे हों कि विरोध कर रहे लोगों को ये तक नहीं पता कि लोकपाल क्या है, लेकिन सच ये है कि अब बात सिर्फ लोकपाल बिल की रह नहीं गई है, अब बात आ गई है देश की जनता कि सहनशक्ति की.

अन्ना ने लोगों को उम्मीद दी है, कि हां अब भी कुछ बदल सकता है, कुछ बेहतर हो सकता है. वरना अपनी ज़िंदगी को किसी तरह पटरी पर बनाए रखने की जद्दोजहद में लगे देश के लोगों को ये होश कि कहां था कि वाकई उनके साथ अन्याय हो रहा है, उनके अधिकार छिन रहे हैं. जिन्हें अपने साथ हो रहे सरकारी अन्याय का इल्म था भी, वह अक्सर कहते दिख जाते थे कि इस देश का कुछ नहीं हो सकता. इस छोटे से वाक्य में लोगों की निराशा साफतौर पर झलकती हुई दिखती है. अन्ना की इस मुहिम के शुरू होने के बाद कुछ बदला हो या नहीं, लोगों का नज़रिया ज़रुर बदला है. बसों, मेट्रो, सड़को, घरों और ऑफिसों में लोगों को ये कहते देखा जा सकता है कि इस बार ज़रूर कुछ होगा, बदलाव आकर रहेगा.

लोकपाल बिल बने या न बने, भ्रष्टाचार मिटे या न मिटे, लेकिन देश की जनता के लिए अन्ना हज़ारे जो एक उम्मीद की किरण बनकर आए हैं. अन्ना और उनकी टीम ने लोगों के मन में जो जज़्बा और देश के लिए प्रेम की भावना जगाई है वो किसी भी लोकपाल बिल से बढ़कर है.

अन्ना अब केवल एक शख्सियत नहीं बल्कि एक प्रतीक बन चुके हैं अन्याय के खिलाफ क्रांति का. शायद इसीलिए हर प्रदर्शन में ये नारा गूंजता हुआ सुनाई दे रहा है मैं भी अन्ना तू भी अन्ना, अब तो सारा देश है अन्ना

4 टिप्पणियाँ:

शबनम
मैंने आपके लेख में आप जैसे युवा वर्ग की भावनाओं को समझते हुए इस पर सोचने पर मजबूर हूँ कि यदि किसी भी समाज का युवा वर्ग अगर सशक्त है तो समाज में बदलाव लाया जा सकता है. अन्ना जी की सबसे बड़ी उपलब्धि है कि उनके इस आन्दोलन ने युवा शक्ति को जगा दिया है. अब चाहे कोई भी मीडिया का रिपोर्टर क्यों ना कितना भी जनता का मखोल उड़ाने की कोशिश करे कुछ गैर ज़रूरी सवालों को पूछकर, इससे मुद्दे की गंभीरता नहीं खत्म होगी बल्कि मीडिया की साख गिरती है. इसी तरह लिखती रहें|

 

Bahut sahi kaha aapne ... Asha ki kiran dikh rahi hai, pata hai ki asan nahi hai par ye mauka accha hai, es desh ka kuch bhala hone ke liye.

 

Bahot Achcha Lekh Lika Hai.

 

एक टिप्पणी भेजें