बेनाम रिश्ता


हम तुम मिलकर आओ

एक ऐसा एहसास जगाए

रिश्तों की परिभाषा से दूर

बेनाम एक रिश्ता जी जाए....

जिसमें मै भी साँसे ले

और तुम भी जगह पाए

मिसाल भले न बने हम

पर सुकून ज़िन्दगी में आए....

न तुम मुझ पर हक़ जताओ

न हम तुमसे कुछ चाहे

हम कोई सौदागर तो नहीं

जो लेन देन पर टिक जाए....

आओ एक ऐसी छाया तलाशे

छाँव में जिसकी दो पल बिताए

अतीत की परछाई न हो जहाँ

कोहरे भविष्य के न घेर पाएँ....

रिश्तों के पुराने साँचे को

हम तुम मिलकर गलाएँ

तपिश कुछ ऐसी दे फिर से

नया आकार वो पा जाएँ....

हम तुम मिलकर आओ

एक ऐसा एहसास जगाए

रिश्तों की परिभाषा से दूर

बेनाम एक रिश्ता जी जाए....

एक "प्रयास"


कौन कहता है आसमाँ में छेद नहीं हो सकता,एक पत्थर तो तबियत से उछालों यारों।इन्हीं पंक्तियों को यथार्थ में बदलने की कोशिश में लगा है दिल्ली का प्रयास बाल निरीक्षण गृह।इस बालगृह में 18 वर्ष से कम उम्र के उन लङकों को रखा जाता है जिन पर जुवेनाईल एक्ट के अन्तर्गत आपराधिक मामले चल रहे होते है।यह बालगृह समाज कल्याण विभाग के अधीन प्रयाससंस्था द्वारा चलाया जा रहा है।

इस बालगृह में वे बच्चे है जिनपर छीनाछपटी,चोरी,बलात्कार,हत्या जैसे अपराधिक मामले चल रहे है पर विशेष बात ये है कि इन बच्चों को यहाँ कैदी के तौर पर नहीं रखा जाता।यहाँ के अधीक्षक भूपिन्दर कुमार का मानना है कि बाल अपराध का मूल कारण प्रतिकूल परिस्तिथियाँ है,कोई भी बच्चा जन्मजात अपराधी नहीं होता।वे कहते है, बच्चे गंगा की तरह पवित्र व शक्तिशाली होते है।जिस तरह गंगा को ज़मीन का साथ ज़रूरी है ठीक उसी तरह इन बच्चों के लिए हमारा साथ ज़रूर है।इसी सोच के साथ यहाँ आने वाले बच्चे के जीवन में सुधार लाने का पूरा प्रयास करते है।

प्रयास बाल संरक्षण गृह में बच्चों को उचित शिक्षा दी जाती है।साथ ही,यहाँ से निकलकर बच्चे आत्मनिर्भर हो सके उसके लिए व्यावसायिक शिक्षा भी दी जाती है जिसमें बच्चों को सिलाई,कढ़ाई,अगरबत्ती मेकिंग, प्रिंटिंग,मेहंदी आदि की ट्रेनिंग शामिल है।इसके अलावा,बच्चों के स्वास्थ्य का भी पूरा ध्यान रखा जाता है।उन्हें योगा,व्यायाम और खेलकूद सिखाया जाता है और पौष्टिक खाना दिया जाता है।

यहाँ सभी बाल अपराधियों की समय समय पर मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ काउंसलिंग करते है ताकि बच्चों की मन:स्तिथि को गहराई से समझकर उनमें सुधार लाने का प्रयास किया जा सके।शुक्रवार को बच्चों को परिजनों से मिलने की इजाज़त भी दी जाती है।सभी धर्मों से सम्बन्धित त्यौहारों को यहाँ धूमधाम से मनाया जाता है।साथ ही,कुछ विशेष अवसरों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।

यहाँ बच्चे अधीक्षक भूपेन्दर कुमार को भैया कहकर संबोधित करते है।जितेन्द्र (परिवर्तित नाम) को यहाँ पाँच महीने पहले लाया गया था उसपर छीनाछपटी के आरोप में कोर्ट में केस चल रहा है।शुरू शुरू में उसे यहाँ अजीब सा लगता था पर अब वह स्वयं को इस प्रयास परिवार का सदस्य मानता है।इन दिनों वह यहाँ सिलाई सीख रहा है।एक अन्य बच्चा राकेश (परिवर्तित नाम) कहता है कि ग़लत संगति में पङकर उसने चोरी की और पकङा गया।पिछले दो महीनें से वह यहाँ है।वह कभी स्कूल नहीं गया पर यहाँ पढ़ना लिखना सीख रहा है।

इसी तरह यहाँ कई बच्चे अपने अंधकारमय बचपन को उजले भविष्य में बदलने का प्रयास कर रहे है।इस सुधार गृह के अधीक्षक तथा अन्य कर्मचारियों को विश्वास है कि यहाँ से निकलकर ये बच्चे फिर मुख्य धारा में शामिल हो सकेंगे तथा अपने भविष्य को उज्जवल बनाएंगे।