ख़ामोशी


शेर अर्ज़ है...

ख़ामोश रहना हमारा
अन्दाज़-ए-बयां है
इसी तरह हम अपनी
हर बात कह जाते है...

नज़्म पेश है...

ये ख़ामोशी
कुछ कहती है
चुपके से धीमे से
हर लफ़्ज़ चुरा लेती है
होठ सी देती है
ये ख़ामोशी
कुछ कहती है....

ये ख़ामोशी
क्यूँ रहती है
किसी के कुछ कहने पर
ये मुझे घेर लेती है
वक़्त फेर देती है
ये ख़ामोशी
क्यूँ रहती है...

18 टिप्पणियाँ:

ख़ामोश रहना हमारा
अन्दाज़-ए-बयां है
इसी तरह हम अपनी
हर बात कह जाते है...

-वाह, क्या अंदाज है!!

 

बहुत खुबसुरत गजल
धन्यवाद

 

इस रचना में न बोलने और चुप रहने दोनो के मायने बड़े गहरे हैं।

 

अच्छी लगी खामोशी की भाषा

 

ख़ामोश रहना हमारा
अन्दाज़-ए-बयां है
इसी तरह हम अपनी
हर बात कह जाते है...
Bahut sundar !

 

मेरे सर के ऊपर से चली गई। वक़्त मिले तो मुझे समझा देना। तुम भी अब बडी लेखिका हो गई हो जिनकी रचनायें सर से निकल जाती हैं. हा हा हा हा

 

behtareen...khamoshiyan gungunane lagein to shayad waqt badlne lagta hai...khair is daur mein agar khamoshi batein kare to hi zyada achcha hai....

 

yar khamoshi to theek he par kabhi kabhi bina bole kaam nahi chalta

 

khamoshi ki jubaan sirf khamoshi hi samajhti hai.

 

very nice
aapne sahi likha hay
khamoshi man ki bhawnaon ko rahkne me madadgar hamesha se rahi hay.
man shant hua padh kar

 

ख़ामोश रहना हमारा
अन्दाज़-ए-बयां है
इसी तरह हम अपनी
हर बात कह जाते है....

ग़ज़ब का अंदाज है आपका ......... खामोशी ही ज़ुबाँ बन जाती है ........ लाजवाब शेर ........

 

अच्छी रचना बधाई
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
Rrgards

 

क्या बात है, एक दम डूब कर लिख रही है । खूबसूरत रचना , बधाई स्वीकार करें.

 

हिज्र की रातों को जागा करूँगी
हर लम्हा मेरा बस तेरा होगा
फुर्सत क्या मसरुफियत क्या
ख़्यालो पर हक़ सिर्फ तेरा होगा

माशा अल्लाह आपने बहुत ही लिखा है
बहुत ख़ुशी हुई की आपने अपनी नै ग़ज़ल के
बारे में हमे जानकारी दी ...कुछ मतले तो
दिल को छु गयी .... बहुत अच्छी सैरा आप हमे
लगती महसूस हो रही है ....आज हमने कुछ नई
ग़ज़ल लिखी है उम्मीद है आप ज़रूर इसे देखेंगी
best regards
aleem azmi

 

अत्यन्त भावपूर्ण ! आभार ।

 

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