मेरी तलाश मेरा मक़सद


हर रास्ता नापा

मन्ज़िल को तलाशना मक़सद था

हर मुश्किल झेली

ज़िन्दग़ी से जीतना मक़सद था


हर बुराई का रास्ता रोका

न्याय को तलाशना मक़सद था

हर अच्छाई का साथ दिया

विश्वास टूटे न कभी मक़सद था


हर अंधेरे को झेला

उजाले को तलाशना मक़सद था

हर परिस्तिथि का सामना किया

अनुभव पाना मक़सद था


हर जलती आग को बुझाया

बचे निशां तलाशना मक़सद था

हर खूबसूरती को सराहा

उम्मीदों की लौ को जलाना मक़सद था....

12 टिप्पणियाँ:

शबनम साहिबा,
आपके लेखन में दिन-प्रतिदिन निखार आ रहा है
आप 'मकसद' में कामयाब हैं

हर अंधेरे को झेला
उजाले को तलाशना मक़सद था
हर परिस्थिति का सामना किया
अनुभव पाना मक़सद था....
अपनी बात को खूबसूरती से कहा है आपने
नये साल की मुबारकबाद
शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

 

हर खूबसूरती को सराहा
उम्मीदों की लौ को जलाना मक़सद था....

बेहतरीन अभिव्यक्ति, आभार

 

अच्छी है बहुत। सच में।

 

सुंदर अभिव्‍यक्ति ।
हर अंधेरे को झेला
उजाले को तलाशना मक़सद था

हर मंजिल एक पडाव है ,
क्‍योंकि हर मंजिल के आगे
फिर एक मंजिल है
हर रस्‍ता बना है छोटी छोटी मंजिलों से
जो पहुंचाती हैं एक बडी मंजिल तक

इस तरह चलते ही जाना है
पूरी कुशलता से जब तक
पार करते हुए रस्‍तों और मंजिलों को

सतत चलते रहना ही है
रास्‍ता और मंजिल दोनों

नव वर्ष की शुभकामनाएं ।

 

Bahut Sunder prayash Shabnam jee,
aapki lekhni ka bhaw bahut badhiya hota hai...!

Aur Zana Kashif Arif jee,
Hindustan me ISHLAM aur KURAN ke siway bhi bahut kuch hai........?

 

इस खुबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
नव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं ................

 

hello shabnam phle to naya saal mubarak ho... waise kavita bahut achchi hai...bahut din se blogger par aane ki fursat nahi mili...again ....happy new year

 

सुन्दर अभिव्यक्ति.....
नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ आपके लेखन को भी शुभ कामनाएं......

 

आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये.
सुख आये जन के जीवन मे यत्न विधायक हो
सब के हित मे बन्धु! वर्ष यह मंगलदयक हो.

(अजीत जोगी की कविता के अंश)

 

एक टिप्पणी भेजें